बिल्ली मौसी बड़ी सयानी
बाल कविता–
बिल्ली मौसी बड़ी सयानी,
दिन भर करती है शैतानी।
चूहे पर है राज चलाती,
आंख दिखाकर उसे डराती।
चूहे देख बिल में छिप जाते,
सभी मित्रों को समझाते।
बाहर घात लगाये बिल्ली ,
नहीं निकलना बाहर जल्दी।
दूध चुराकर पी जाती है,
मुख पोछकर भग जाती है ।
करती है दिनभर मनमानी,
बिल्ली मौसी बड़ी सयानी।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र