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6 Aug 2024 · 1 min read

बिल्ली पर कविता -विजय कुमार पाण्डेय

बिल्ली
देखो देखो बिल्ली आई,
इसके पास बहुत चतुराई।
इसे शौक खाने -पीने की,
मिले उड़ाती दूध मलाई ।०देखो-

भागे फिरती इधर उधर यह,
दिख जाती घर किसी डगर यह।
नगर गांव यह सभी जगह पर ,
जानवर यह मिलती चौपाई।०देखो-

कभी मेज अलमीरा चढ़ती,
रख्खे बर्तन गिरा बजड़ती ।
चूहे इसको दिख जाये तो,
ग्रास बनाये उसको धाई।०देखो-

उजले भूरे कई रंग में ,
भयंकर औ प्यारे ढंग में ।
कैसे देखो मुँह में अपने,
निज बच्चों को चले दबाई।०देखो

मत मारो बिल्ली को प्यारे,
जीवन सब ईश्वरीय सारे।
म्याऊं-म्याऊं करते आई,
देखो-देखो बिल्ली आईं।
-‘प्यासा’
Vijay Kumar Pandey

Language: Hindi
1 Like · 65 Views

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