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29 Jan 2024 · 2 min read

बिल्ली की लक्ष्मण रेखा

. . .बिल्ली की लक्ष्मण रेखा
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जब सड़क पर चलते समय कभी भी
कोई बिल्ली झट से देती है रास्ता काट
तब सच में मानो बड़े शूरमाओं की भी
वहीं पर खड़े खड़े ही लग जाती है वाट

एक साथ ही अनेकों तरह के बुरे विचार
मन में आकर जैसे कुलबुलाने लगते हैं
केवल अपशकुन ही अपशकुन उन्हें
अपनी चारों ओर नजर आने लगते हैं

आसपास टकटकी लगाकर ढ़ेर सारे
खड़े लोगों की ओर देखने से बचते हैं
चलते-चलते अचानक ही रुक जाने का
मन ही मन में कोई नई कहानी रचते हैं

इस बात की भी है अन्दर से लज्जा
देखने वाले लोग उन्हें अब क्या कहेंगे
पर किसी के आगे बढ़ने से पहले ही
सब जानकर फिर वही आगे क्यों बढ़ेंगे

कुछ देर में ही उन्हें हिम्मत आ जाती है
अब जिसको भी जो भी कहना है वो कहे
अंधविश्वासी ही उन्हें क्यों नहीं समझे
पर आगे बढ़ हानि केवल वही क्यों सहे

यह क्या इनके पीछे भी तो दर्जनों
आधुनिक बने लोग चुपचाप यूं खड़े हैं
एक दूसरे से अपनी ऑंखों को चुराकर
सभी लोग बीच सड़क पर ही यूं गड़े हैं

अब तो वहाॅं पर बस सभी को इंतजार है
कोई भी संकट मोचन कहीं से आए
बिल्ली द्वारा खींची लक्ष्मण रेखा को
पार कर निर्भय होकर आगे बढ़ते जाए

बिल्ली भी अब अपनी असली ताकत को
पूरी अच्छी तरह से समझने लगी है
मनुष्य जाति को भी तंग करने की
एक नई उमंग अब उसमें जगी है

सबसे छुपकर सड़क के किनारे ही वह
पैरों को दबा कर चुपचाप रहती है खड़ी
किसी को आते देखते तेजी से सड़क को
पार कर घुमा देती है अपनी जादुई छड़ी

अभी भी हम इसे अंधविश्वास ही कहें या
इसे सच साबित करने को नई कहानी गढ़ें
या फिर बिना कुछ विचार किये ही हम
इसी सोच को साथ लेकर और आगे बढ़ें

है कोई जीता जागता प्रमाण कहीं जो
बिल्ली को कटघरे में खड़ा करते रहें
नहीं तो क्यों निरीह प्राणी के मन में हम
हर हमेशा ही निराशा का भाव भरते रहें

पारस नाथ झा
अररिया, बिहार

Language: Hindi
240 Views
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