बिल्ली की तो हुई सगाई
बाल कविता
बिल्ली की तो हुई सगाई
जँगल में फिर सभा बुलाई
बात खुशी की उन्हें सुनाई
सुनकर सारे नाचे झूमे
डाल डाल पर बन्दर घूमे
हाथी अपनी सूंड उठाये
कोयल मीठा राग सुनाए
शेरू बोला करो तैयारी
बिल्ली लगती मौसी हमारी
गीदड़ ने फिर हूक लगाई
बिल्ली की तो हुई सगाई
हाथी दादा बने हलवाई
भाँति भाँति की बनी मिठाई
कल्लू भैंसा हलवा घोटे
दाँत दिखाए मोटे मोटे
बर्फी बनाए बन्दर मामा
चिम्पांजी ने पलटा थामा
ढोलू भोलू लड्डू बनवाए
आँख छुपा कर गप कर जाए
चुन चुन चिड़िया खीर पकाए
काजू पिस्ता खूब मिलाए
जठरू भालू ले जम्हाई
बिल्ली की तो हुई सगाई
बिट्टो गिलहरी कपड़े लाई
पहन के बिल्ली इतराई
बंटो बकरी सैण्डल लाई
शेरू ने पेण्डल गड़वाई
मेकअप करने आई सहेली
उसे बनाने नई नवेली
काला चश्मा दिल्ली से आया
ऑनलाइन दगड़ू ने मंगवाया
अमरिका से घड़ी मँगाई
बिल्ली की तो हुई सगाई
कठफोड़वा लकड़ी लाता
जोड़ जोड़ कर पलंग बनाता
फूल तितलियाँ चुनकर लाती
रस्ते रस्ते उन्हें बिछाती
पांडाल भी हुआ तैयार
ढोल नगाड़ों की झंकार
साज बाज चीता ले आया
एक धमक से जंगल थर्राया
लम्बू जिराफ़ ने करी पुताई
बिल्ली की तो हुई सगाई
कालू कौआ न्यौता छाँटे
दौड़ दौड़ कर हिरन बाँटे
पीले चावल खरगू लाये
संग में उसके मिट्ठू जाए
हारुल हल्दी लाती है
आये नाते नाती हैं
मामा के संग मामी आई
अपनी बिल्लो गले लगाई
धमा चौकड़ी हुआ हंगामा
चुनर उड़ाए बन्दर मामा
कुरजां ने फिर टेर लगाई
बिल्ली की तो हुई सगाई
चटक चटक कर उपटन पिस्ता
शेरू अपने दाँतो को घिसता
बिल्लो रानी बाल सँवारे
कल्लो उसके काज़ल डारे
माता उसकी नज़र उतारे
नमक मिर्ची के उठे धुँवारे
लग्न पत्रिका टुन टुन बाँचे
पंख फैलाकर मोर नाचे
ढोल नगाड़े डम डम बाजे
ऊँची कुर्सी शेर विराजे
दरवाजे पर लड़ियाँ लटकाई
बिल्ली की तो हुई सगाई
हुक्का भरकर मंगू आया
झूम झूम माहौल बनाया
चहक उठा है जंगल सारा
खुशियों का तो खुला पिटारा
सज धज कर सब हुए तैयार
बिल्लो का था इंतजार
आज वन में खुशियां छाई
चाचा चाची ताऊ ताई
मिलकर सबने धूम मचाई
बिल्ली की तो हुई सगाई
भवानी सिंह ‘भूधर
बड़नगर , जयपुर