बिल्कुल नहीं हूँ मैं
लगता है इस जहान में बिलकुल नहीं हूँ मैं
या फिर तुम्हारे ध्यान में बिलकुल नहीं हूँ मैं
घर में कोई नहीं जो मुझे अपना कह सके
मेरे ही ख़ानदान में बिल्कुल नहीं हूँ मैं
मेरा सफर तो अपनी ही गहराइयों में है
ऊँची किसी उड़ान में बिल्कुल नहीं हूँ मैं
वो तीर हूँ कि जिसके निशाने पे मैं ही हूँ
उस पर सितम कमान में बिल्कुल नहीं हूँ मैं
बस एक तेरे होने का है मुझको अब यक़ीन
बाक़ी किसी गुमान में बिल्कुल नहीं हूँ मैं
अब चाहो तो गले से लगा सकते हो मुझे
अब अपने दरमियान में बिलकुल नहीं हूँ मैं
~Aadarsh Dubey
Lagta hei is jahan me bilkull nahin hun main
Ya phir tumhare dhyan me bilkull nahin hun main
Ghar me koyi nahin jo mujhe apna kah sakey
Mere hi khandaan me bilkull nahin hun main
Mera safar to apni hi gahraiyon me hei
Unchi kisi udan me bilkulll nahin hun main
Wo teer hun ki jiske nishane pe main hi hun
Us par sitam kaman me bilkull nahin hun main
bas eik tere hone ka hei mujhko ab yaqeen
Baqi kisi guman me bilkull nahin hun main
ab chaho to gale se laga sakte ho mujhe
Ab apne darmiyan me bilkull nahin hun main
~Aadarsh Dubey