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2 Jun 2024 · 1 min read

“बिलखती मातृभाषा “

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

=================

जो अपनी मातृभाषा को
स्वयं तिरस्कार करते हैं
उसे उनके ही साथी सब
उन्हें अस्वीकार करते हैं

सभी से प्यार तुम कर लो
सबों को अपना तुम मानो
सभी भाषाओं को सीखो
उन्हें अपना ही तुम जानो

नहीं भूलो कभी तुम भी
अपनी इस मातृभाषा को
लिया है जन्म जिस माँ से
रखो तुम उसकी आशा को

जो बालक मातृभाषा को
सही से सीख लेते हैं
वही अपने समाजों का
सुदृढ़ एक नींव रखते हैं

कहो किसे दोष दें हम तो

सभी माँओं को भूले हैं

बिलखती है सदा भाषा

जिनके बेटे सौतेले हैं

जो अपनी मातृभाषा को
स्वयं तिरस्कार करते हैं
उसे उनके ही साथी सब
उन्हें अस्वीकार करते हैं !!

================

डॉ लक्ष्मण झा ‘ परिमल ”

साउंड हेल्थ क्लिनिक

एस .पी .कॉलेज रोड

दुमका

झारखंड

भारत

02.06.2024

Language: Hindi
Tag: गीत
149 Views

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