बिलकुल सच है, व्यस्तता एक भ्रम है, दोस्त,
बिलकुल सच है, व्यस्तता एक भ्रम है, दोस्त,
यदि चाह ले कोई, हर काम ढूंढ लेता है खोस्त।
समय का नाश्ता करते हैं हम कौर कौर कर,
जो चाहें चाहें, पा लेते हैं, बस थोड़ा तौर कर।
जीवन की पलकों में छुपे हैं पल अनंत,
उन्हीं पलकों में समेट लो अपने सपनों का अंत।
प्राथमिकता का रंग दो इच्छाओं को अपने,
फिर देखना, समय की धारा भी झुकेगी सिर झुकाए।
व्यस्तता की चादर ओढ़कर सोचते हैं अक्सर हम,
जीवन का सागर सूख गया, न रहा है कोई कम।
पर थोड़ा झांक कर देखें, अपने भीतर गहराई तक,
दिखेगा ख्वाहिशों का वन, लहराता हुआ चटपट।
तो मत बहाओ व्यस्तता के सागर में आंसू, यार,
जो दिल करे वो कर लो, मुक्त कर उम्मीदों का तार।
समय तुम्हारे साथ दौड़ेगा, साथ रहेगा हर पल,
बस कर लो तय तुम क्या चाहते हो, बनने दो उद्देश्य का कल।