Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2024 · 1 min read

बिरवा कहिसि

विश्व पर्यावरण दिवस विशेष—-

*** बिरवा कहिसि ***
हमका यहु गर्व हवै बहुतै, अपना तन तोहि लुटाइत है।
जब भूख ते व्याकुल आयौ कबो, हम आपनि डाल लचाइत है।
तुम्हरे जब घामु लगै कसिकै, हंसिकै हमही जुड़वाइत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका, हम ना तुमका दुरियाइत है।।
तुम्हरी दुर्गंध बयारि भखी, तुम का हम नीकि सुघाइत है।
मरुभूमि करी उपजाऊ सदा, बरिखा तुम्हरे हित लाइत है।
जनमानस हेतु निछावर हौं, हम तोहि यहै बतलाइत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका, हम ना तुमका दुरियाइत है।।
बन औषधि तोहि निरोग करी, घर बाहर कामन आइत है।
खिरकी दरवाज केवार मुहार, छतै तन ते बनवाइत है।
पकवान पकैं हमरे धर ते, अपने उपरै पहुढा़इत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका, हम ना तुमका दुरियाइत है।।
पशु पच्छिन वास करै हम पै, हम देखि सदा हरसाइत है।
फल खाय चुगै मल त्यागि दियै, हम नाहि कबौ हरकाइत है।
उनके गुन नीकि लगै तुमका, तुम्हरे हित ही दुलराइत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका, हम ना तुमका दुरियाइत है।।
हम मांगित नाहि कछू तुमते, अपने मन मा सकुचाइत है।
नहिं रोपति हौ, तुम काटति हौ, बसि आजु यहै दुखु पाइत है।
हम ना रहबै, तुम ना रहिहौ, यहिते तुम का समुझाइत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका, हम ना तुमका दुरियाइत है।।

रचनाकार– कवि सतगुरु प्रेमी
रायबरेली, उत्तर प्रदेश
मो नं – 9721750511

Language: Hindi
1 Like · 17 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
होके रुकसत कहा जाओगे
होके रुकसत कहा जाओगे
Awneesh kumar
vah kaun hai?
vah kaun hai?
ASHISH KUMAR SINGH
शेष न बचा
शेष न बचा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
साजिशें ही साजिशें...
साजिशें ही साजिशें...
डॉ.सीमा अग्रवाल
भावनात्मक निर्भरता
भावनात्मक निर्भरता
Davina Amar Thakral
कफन
कफन
Kanchan Khanna
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इंद्रदेव की बेरुखी
इंद्रदेव की बेरुखी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कहाँ लिखूँ कैसे लिखूँ ,
कहाँ लिखूँ कैसे लिखूँ ,
sushil sarna
सफर या रास्ता
सफर या रास्ता
Manju Singh
चंचल पंक्तियाँ
चंचल पंक्तियाँ
Saransh Singh 'Priyam'
*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
Ravi Prakash
আমায় নূপুর করে পরাও কন্যা দুই চরণে তোমার
আমায় নূপুর করে পরাও কন্যা দুই চরণে তোমার
Arghyadeep Chakraborty
दो घूंट
दो घूंट
संजय कुमार संजू
कहाॅं तुम पौन हो।
कहाॅं तुम पौन हो।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
आब-ओ-हवा
आब-ओ-हवा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
* बढ़ेंगे हर कदम *
* बढ़ेंगे हर कदम *
surenderpal vaidya
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तुम ही मेरी जाँ हो
तुम ही मेरी जाँ हो
SURYA PRAKASH SHARMA
नारी बिन नर अधूरा🙏
नारी बिन नर अधूरा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दिल हो काबू में....😂
दिल हो काबू में....😂
Jitendra Chhonkar
"विश्वास"
Dr. Kishan tandon kranti
“तब्दीलियां” ग़ज़ल
“तब्दीलियां” ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सूरज
सूरज
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
ता थैया थैया थैया थैया,
ता थैया थैया थैया थैया,
Satish Srijan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
एक तरफ चाचा
एक तरफ चाचा
*प्रणय प्रभात*
कुछ तो बाक़ी
कुछ तो बाक़ी
Dr fauzia Naseem shad
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...