“बिन हमसफ़र”
बिन हमसफ़र अधूरी है ज़िन्दगी,
बिन पानी मछली सरीखी है ज़िन्दगी,
तड़प – तड़प कर आह निकलती है,
नासूर बन निकलती है ज़िन्दगी,
दिल में लावा धधकता है रात – दिन,
काँधा मिलते ही सिसकती है ज़िन्दगी,
बिन हमसफ़र अधूरी है ज़िन्दगी,
हमसफ़र जब साथ था,
मोहब्बत का अहसास था,
बिन पीये खुमार चढ़ाती थी ज़िन्दगी,
चाँदनी रात में दिल धड़काती थी ज़िन्दगी,
कशिश बन दिल में कुहुक उठती थी ज़िन्दगी,
बाँहों के बंधन में मचल उठती थी ज़िन्दगी,
बिन हमसफ़र अधूरी है ज़िन्दगी,
रूखे मरुस्थल में प्रियतम की प्रीत बन,
टिप – टिप बारिश की बूंदों सी,
गुदगुदाती है ज़िन्दगी,
बिन हमसफ़र अधूरी है ज़िन्दगी,
ज्यों अम्बर – तारों बिन,
ज्यों मयूर – कस्तूरी बिन,
ज्यों मरुस्थल बूँद बिन,
ज्यों मयूर पंख बिन,
ज्यों गंगा नीर बिन,
ज्यों पहाड़ हिम बिन,
हमसफ़र बिन यूँ अधूरी है ज़िन्दगी,
बिन पानी मछली सरीखी है ज़िन्दगी,
तारें गिन – गिन रैन कटे,
मन – मयूर क्रंदन करे,
दीये की तरह जिया जले,
दिल में यादों की हिलोर उठे,
नयना दिन – रात बहें,
चातक जैसे प्यासी है ज़िन्दगी,
बिन हमसफ़र “शकुन” अधूरी है ज़िन्दगी।