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31 Jul 2018 · 1 min read

सावन

बिन साजन के सावन कैसा।
जलती बूँद अगन के जैसा।
बढ जाती है तन की पीड़ा-
हर ले प्राण तपन है वैसा।
-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
123 Views
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