बिन शगुन सब सून
है भारतीय
संस्कृति में
शगुन
शुभ उपहार
होता है छोटा
करता बड़ा
उपकार
छोटे-बड़े
हर काम में
शगुन रखता
बहुत महत्व
होने वाले
सब काम को
देता अस्तित्व
देता है
शादी का
शगुन
रोमांच
होता हर काम
शुभ मुहूर्त में
बढ़ती जाती
गृहस्थी
शुभ शगुन में
पाठक की
रचना करते
जो पसंद
हो जाती
रचना उनक
धन्य
करों जिन्दगी में
हर शगुन
का मान
मत तोलो
इसे
रुपयों पैसों से
देता है
समाज में
ये सम्मान
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल