बिन बोले ही हो गई, मन से मन की बात ।
बिन बोले ही हो गई, मन से मन की बात ।
अभिसारों को कर गया, खंडित मौन प्रभात ।
जलने को जलते रहे, गहन तिमिर में दीप –
देह क्षुधा बढती गई, ज्यों-ज्यों ढलकी रात ।
सुशील सरना /10-2-24
बिन बोले ही हो गई, मन से मन की बात ।
अभिसारों को कर गया, खंडित मौन प्रभात ।
जलने को जलते रहे, गहन तिमिर में दीप –
देह क्षुधा बढती गई, ज्यों-ज्यों ढलकी रात ।
सुशील सरना /10-2-24