बिन बात रुलाया न कर
**बिन बात रुलाया न कर**
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तुम मुझे यूँ सताया न कर,
बिन बात के रुलाया न कर।
प्यार को कमजोरी न समझ,
बात का पतंगा बनाया न कर।
तोल कर बोल तो मोल हो,
यूँ थूक के पुल बनाया न कर।
लगा के आग हो दूर खड़ी,
दुनिया को हँसाया न कर।
बात बेबाक साफ साफ कर,
उलझन में उलझाया न कर।
प्रीत के गीत गाता तो रह,
कड़वे बीज उगाया न कर।
रोका तो बहुत पर न रुका,
सूनी राह पर जाया न कर।
मनसीरत समझा कर हटा,
लोगों को उकसाया न कर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)