बिन तोल मत बोलो
****बिन तोले मत बोल***
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शब्द होते बहुत अनमोल
बिन तोले,मत मुख से बोल
बाण से भी तीखे चुभते
बोले कोई कड़वे बोल
बढ जाता है मान-सम्मान
कहीं कदर पाते बोले बोल
दुश्मन दोस्ती में बदलते
मुख से निकलते मधुर बोल
पल में निरादर करवाते
गर गन्दे – मंदे बोलें बोल
सोच समझ कर ही बोलिए
मिले पद प्रतिष्ठा बिना मोल
रिश्तों में मिठास हैं घोलते
रसमयी रसीले मधु बोल
नजरों से भी गिरा दते
अमर्यादित विवादित बोल
सुखविंद्र जगत में हो शान
शिष्टाचारी शिष्ट हों बोल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)