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18 Jan 2020 · 1 min read

बिन तेरे

एक एक दिन गुजर रहा हैं
मर नहीं जाएंगे, बिन तेरे,

हवा में न नफ़रत का ज़हर
साँस भी ताजी हैं, बिन तेरे,

ख्वाब होता तो रातें लंबी
अब नींद कम हैं, बिन तेरे,

शौक़ था तेरे नाम का मुझे
कलम चल रही हैं बिन तेरे,

हर साया तो धूप माँगता हैं
अँधेरा डराया नहीं,बिन तेरे,

सुबह होती तेरे आवाज से
हिचकियाँ आती हैं,बिन तेरे,

जीतना फ़ितरत में हैं मेरी
इस बार हारना हैं बिन तेरे,

देखना आदत नहीं थी मुझे
तस्वीरें देखने लगा बिन तेरे,

मुझे भुला देना ही इश्क तेरा
जिंदगी कैसे जियेंगे बिन तेरे

✍️रवि कुमार सैनी ‘यावि’

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 301 Views

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