बिना माँ के जीवन गुज़ारा बहुत है…
मिला जख़्म हमको क़रारा बहुत है
बिना माँ के जीवन गुज़ारा बहुत है।
ख़ज़ाना मेरा सादगी है मगर क्यूँ
मुझे ज़िंदगी ने नकारा बहुत है।
हमें दर्द होगा अगर दर्द रोया
इसी ने तो हमको संवारा बहुत है।
जिसे माँ दिखाती थी बचपन में हमको
फ़लक पर चमकता सितारा बहुत है।
डराओ न मुझको ज़माने के लोगो
दुआओं का माँ की सहारा बहुत है।
गवाही फ़रिश्ते भी आकर के देंगे
ये बंदा खुदा का दुलारा बहुत है।
समंदर की मौजों से जाकर के कह दो
अभी दूर उन से किनारा बहुत है।
जो महसूस करता हो धड़कन तुम्हारी
हक़ीक़त में वो शख़्स प्यारा बहुत है।
मुलाक़ात नज़रों ने नज़रों से की जब
लगा खूबसूरत नज़ारा बहुत है।
मुनासिब हो मिलना अगर तुमसे मेरा
मुहब्बत का बस इक इशारा बहुत है।
दुआ ग़र मिली है “परिंदे” को रब से
मुझे ये सहारा सहारा बहुत है।