बिना गम के खुशी का भी मज़ा क्या!
गज़ल
युॅं ही जीवन गुजर जाये रखा क्या!
बिना गम के खुशी का भी मज़ा क्या!
ये सब जानें गुनाहों की वज़ा क्या!
समय पर ना मिले तो वो सज़ा क्या!
कि सबके सामने दामन न फैला,
जो पूरी हो न ऐसी इल्तिजा क्या!
अगर जीना है तो सांसे खरीदो,
कि जहरीली हुई इतनी हवा क्या!
दुआ लो जब दवा नाकाम हो जाए,
लो रब का नाम कर लेगी वबा क्या!
भरोसा कर तो अपने आप पर ही ,
सफल होगा, है कोई शक शुबा क्या!
तु प्रेमी है तो सबसे प्यार कर ले,
न समझो कोई सौतेला सगा क्या!
…… ✍ प्रेमी