Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2021 · 3 min read

बिधवा के पियार!

विधवा के पियार!
हमरा वो अबैत जात बड़ा गौर स देखत रहै।परंच हम बिना गौर कैले अबत जाइत रही।एकटा दिन एगो छोट लैइका एगो पूरजी लेके देलक आ कह लक सर जी बड़की माय देलक हैय।हम बड़की माय नाम सुन ले रही।
कारण पता चलल कि तीन भाई मे से सबसे बड़का भाई जे बिधुर रहे तीन गो लड़की आ एगो लड़का के बाप रहे।आ सरकारी सरबिस से रिटायर रहे।अपना लड़की के तुरिया लड़की से शादी कैले रहे।आ कुछ दिन बाद मर गेल रहे।वोहे विधवा युवती के लोग सब बड़की माई के नाम से जाउत-जैधी आ सतवा बेटी-बेटा पुकारत रहै।
हं। अब वै पुरजी के खोल के पढे लगली।पुरजी में लिखल रहे-
प्रिये सर जी,
परनाम।
हमरा अंहा से पियार भ गेल हैय।
अंहा के शांति
पुरजी पढिते,हमर मन के शांति खतम भे गेल।मन में शांति खलवली मचा देलक। एक लाइन के पुरजी।असल में उ एगो प्रेम पत्र रहे। अब त दिन रात शांति के बारे में ही सोचैत लगली। हम अपना खिड़की से बार बार देखें लगली।जब वो नहाय कल पर आबे। वो खुब देर तक नहाय लांगल। कुछ कुछ अंग प्रदर्शन भी करे लागल।वोहो नजर चुरा के देखे लागल कि खिड़की से देखै छी कि न। जब वो बुझ जाए त और अंग प्रदर्शन करे लागल। हमरो शांति अब कामिनी लागे लागल।हम आ वो दूनू गोरे एक दोसर के देखे लगली।प्यार परवान चढ़े लागल।
अब वोहे लैका रोज दिन पुरजी यानी लव लेटर थमाबे लागल।अपन दुख भरी कहानी,अपन बेदना,अपन देहक कामना, अपन भावना आ अपन सपना बताबे लागल। एक दिन त प्रेमक पत्र में लिखनन कि हम अंहा से विआह करै लेल तैयार छी।हमर बाबू माय बहुत पहिले से ब्याह करे के लेल कहैत रहलथिन। लेकिन हम तोहर बिआह न करबौ।कारण कि अपना सब में बिधवा विआह न चलै छैय।हम सभ कुलिन वर्ग से छी। लेकिन हम सभ गलती कैले छी कि तोहर बिआह बुढ वर से कै देलिओ।आइ तोहर दुःख देखल न जाइए। अब तु अपना से केकरो से विआह क ले।परजाइतो में क ले। अब हमरा से दुःख न सहल जाइ अ।
इ सब जान के हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो गेली।हम त बिआह के बारे में सोचने भी न रहली।एक दिन सांझ में अचानक हमरा रूम के किबारी से खटखट के आवाज सुनाई पड़ल। हम कहली के। बाहर से आवाज़ आयल,हम शांति।हम किबारी खोल देली। शांति भीतर आके सिटकिनी लगा देलक। हमरा बेड पर आके बैठ गेल। हमहु बैठ गेली।वोइ बिधवा युवती के आइ नजदीक से देखली। वो हाथ पकड़ के बात करे लागल। कभी कभी देह के भी छुए लागल।बात करैत करैत देह में सट गेल।अब वोइ छुअन से हमरो देह में सुरसुरी होय लागल।केना दुनू युवा देह एक देह हो गेल पता न चलल।हम अपना के शर्मिंदा बुझे लगली। लेकिन वो मुस्कुराइत रहें।वोकर भाव शांत दिखे।वो बड़ी फूर्ति से रूम के किबारी खोल के बाहर निकल गेल।
अब हम समझ ली कि वो वोकर देह के मांग रहे।जै वो पूरा क लेलक। हमरा वोकरा से वितृष्णा भ गेल।हम वहां से दोसर जगह चल गेली।बाद में पता चलल कि वो सजातीय विधुर , दूर के जीजा जी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहे लागल हैय।इ कहानी अपना पर बितल एक दोस्त बतैलक,जे बहुत दिन बाद हमरा से मिले आयल रहे । हम सोचे लगली इ बिधवा के पियार न मजबूरी रहे, विधवा विवाह निषेध के।
स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Language: Maithili
1 Like · 1 Comment · 679 Views

You may also like these posts

बेटलिंग बेगमो के इर्दगिर्द घूमती बांग्लादेश की राजनीति ✍️
बेटलिंग बेगमो के इर्दगिर्द घूमती बांग्लादेश की राजनीति ✍️
Rohit yadav
मैं अशुद्ध बोलता हूं
मैं अशुद्ध बोलता हूं
Keshav kishor Kumar
- मेरे ख्वाबों की मल्लिका -
- मेरे ख्वाबों की मल्लिका -
bharat gehlot
हाइकु - डी के निवातिया
हाइकु - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
आतंकवाद
आतंकवाद
मनोज कर्ण
इश्क बेहिसाब कीजिए
इश्क बेहिसाब कीजिए
साहित्य गौरव
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
अन्याय करने से ज्यादा बुरा है अन्याय सहना
Sonam Puneet Dubey
पुष्प अभिलाषी है ...
पुष्प अभिलाषी है ...
sushil sarna
If you think you are too small to make a difference, try sle
If you think you are too small to make a difference, try sle
पूर्वार्थ
*राम हिंद की गौरव गरिमा, चिर वैभव के गान हैं (हिंदी गजल)*
*राम हिंद की गौरव गरिमा, चिर वैभव के गान हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जिंदगी कैमेरा बन गयी है ,
जिंदगी कैमेरा बन गयी है ,
Manisha Wandhare
*मुर्गा की बलि*
*मुर्गा की बलि*
Dushyant Kumar
हवन
हवन
Sudhir srivastava
सरकार का अन्यायपूर्ण रवैया बंद होना चाहिए।
सरकार का अन्यायपूर्ण रवैया बंद होना चाहिए।
Ajit Kumar "Karn"
सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
2480.पूर्णिका
2480.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गज़ल
गज़ल
Santosh kumar Miri
“किरदार”
“किरदार”
Neeraj kumar Soni
पेट भरता नहीं
पेट भरता नहीं
Dr fauzia Naseem shad
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
Rj Anand Prajapati
तुम - हम और बाजार
तुम - हम और बाजार
Awadhesh Singh
बृज की बात ये बृज के ग्वाल बाल बृज की हर नार पे प्रीत लुटावत
बृज की बात ये बृज के ग्वाल बाल बृज की हर नार पे प्रीत लुटावत
पं अंजू पांडेय अश्रु
दिखता था
दिखता था
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
सावन भादो
सावन भादो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
..
..
*प्रणय*
लड़कियां बड़ी मासूम होती है,
लड़कियां बड़ी मासूम होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुदरत है बड़ी कारसाज
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"समुद्र मंथन"
Dr. Kishan tandon kranti
मुखौटा
मुखौटा
seema sharma
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
Loading...