बिटिया
कविता,गीत,नवगीत,कहानी,दुमदार दोहे,क्षणिका आदि पर कार्य.
**बिटिया**
दीं उसने
बिना कहे सुने
खुशियाँ ढेर
दीं उसने
सब कुछ
बिना टालमटोल
बिना जी हुजूरी
दीं उसने
फूलों का चमन
हरी भरी क्यारी
न्यारी
चिंता बस एक
आँख की पुतली
बिटिया
रहेगी कब तक
कुँवारी
दौड़धूप
भाग-दौड़कर थका
विज्ञापन दे
देख-देख पका
परेशान और हैरान
श्रेष्ठ चयन हेतु
घर की बात अलग
बिटिया
है सामाजिक धरोहर
घर की लाज,शोभा,उत्तरदायित्व
आवश्यक लाचारी
करने की मंडप तैयारी
बन गई सूझ
कहानी अनबूझ
होता बोध
बन गई बोझ
और मारे सामाजिक बंधन के
एक-एक दिन पड़ने लगा
पल-पल भारी
जब तक न हों
उसके हाथ पीले
मेरी पलकें गीली
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
‘शिवाभा’ ए-२३३, गंगानगर,
मेरठ-२५०००१ (उ.प्र.)
दूरभाष-०९४१२२१२२५५
”बिटिया” विषय पर एक कविता ”बिटिया सम्मान समारोह” हतु