बिटिया होती प्यारी…
बिटिया होती प्यारी,
घर की राज दुलारी,
घर आँगन महकते,
जब उसके कदम पड़ते,
लक्ष्मी का वह रूप है,
देखो सुंदर स्वरूप हैं,
जब गुड़िया चलती हैं,
धरा भी छूने को मचलती हैं,
कितना ही दर्द हो,
चाहे मौसम सर्द हो,
सुनकर मीठी बोली,
खुशियों से भर जाती झोली,
देखने उसकी मुस्कान,
रुक जाता हैं जहान,
बिटिया हैं अनमोल रत्न,
मिला प्रसाद जब हुए लाख यत्न,
दो परिवारों को जोड़ती,
कितना कुछ वह छोड़ती,
हर रिश्ते को खूब निभाती,
बिटिया मेरी मुझको चाहती,
मेरे दिल का टुकड़ा,
मुझसे रहता सदा जुड़ा,
प्रेम से मैंने उसको सींचा,
खुश रहें सदा यही मैंने सोचा,
बेटा बेटी में भेद नहीं,
बेटी बेटों से कम नहीं,
मत कीजिए कोई भेदभाव,
कभी न कीजिए मोल भाव,
बिटिया होती प्यारी,
घर की राज दुलारी,..
——जेपीएल