बिटिया रानी
एक अनलिखी अनपढ़ी कहानी हूं,
मैं जूही, चंपा व रातरानी हूं,
हंसता बचपन और गुड्डे गुङिया,
मैं तो बाबा की बिटिया रानी हूं,
बङी हुई तो रंगत गोरी निखरी,
पर मैं शापित व पीङित जवानी हूं,
वहसी नजरें, शोषित जीवन, दहेज,
पिता का झुका शीश, परेशानी हूं,
मेरी वजह से सहते बहुत बाबा,
क्या ईश्वर की भूल व नादानी हूं,
पर बाबा विश्वास करो, मैं कम कब,
मैं गौरव की अनसुनी कहानी हूं,
इंदिरा, कल्पना व नीरजा हूं,
मैं ही तो झांसी की मर्दानी हूं,
तेरे भाल का तिलक बनती बाबा,
मैं तेरी बिटिया बङी सयानी हूं,