बिटिया (ब्रजभाषा रसिया)
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बिटिया
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बिटिया लगै मात कूँ प्यारी , पितु की राजदुलारी रे ।।
राजदुलारी रे पितु की राजदुलारी रे ।।
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जा घर में बेटी नाय होवै, लागै सूनौ-सूनौ ,
लाड़ो के भागन भंडारौ, भरै रात दिन दूनौ ,
बाबुल घर तुलसी बिरवा सी , राजकुमारी रे ।
बिटिया लगै मात कूँ प्यारी , पितु की राजदुलारी रे ।।१
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छम-छम डोलै जब आँगन में अमरत सौ बरसै रे ,
सुन लाली के बैन तोतले, सूखौ मन सरसै रे ,
कन्या देवी अंश नौरता पुजैं कुमारी रे ।
बिटिया लगै मात कूँ प्यारी , पितु की राजदुलारी रे ।।२
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कहीं उगै जा कहीं रुपै है , चिड़िया सी उड़़ जावै ,
पारी पोसी विदा होय जब रोवै और रुवावै ,
बाबुल सिसकै मैया बिलखै, भर सिसकारी रे ।
बिटिया लगै मात कूँ प्यारी , पितु की राजदुलारी रे ।।३
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पीहर होय परायौ जब ई जाय सासरे अपने ,
कन्यादान करें हाथन ते , पूरे होवैं सपने ,
महादान कन्या को होवै, अति सुखकारी रे ।
बिटिया लगै मात कूँ प्यारी , पितु की राजदुलारी रे ।।४
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बेटी-बहन मात रूपा हैं, इनकौ मान करौ रे ,
इज्जत इनकूँ देउ ठीकरी, आँखन नाय धरौ रे ,
बुरी नजर मत तकौ , पाप लागै अति भारी रे ।
बिटिया लगै मात कूँ प्यारी , पितु की राजदुलारी रे ।।५
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बेटी राधा बेटी सीता , बेटी लछमी मैया ,
बेटी गंगा , बेटी जमना , बेटी सोन चिरैया ,
बेटी तौ घर की गैया सी भोरी-भारी रे ।
बिटिया लगै मात कूँ प्यारी , पितु की राजदुलारी रे ।।६
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महेश जैन ‘ज्योति,
मथुरा ।
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