बिटिया प्यारी
उजियारा लेकर के आई अँधेरे इस जीवन में,
बहुत ख़ुशी थी घर पे सबको, था उल्लास भरा सबके मन में
लोग न जाने फिर भी क्यूँ बेटो पे ही खुश होते हैं,
बिटिया तो एक छाया बृक्ष है कांटो भरे इस बन में
उजियारा लेकर के आई अँधेरे इस जीवन में,
उंगली पकड़ के मेरी जब साथ मेरे वो चलती है
नन्हे नन्हे पैरो से जब गिरती और संभलती है
सब मिल जाता उसके हंसने से, क्या रखा किसी धन में
उजियारा लेकर के आई अँधेरे एक जीवन में,
साथ छोड़ देंगे बेटे एक दिन बेटी ही काम आएगी,
पराये घर पे होक भी वो मेरा मान बढ़ाएगी
बेटी है बेटो से बढ़कर फिर क्यूँ रहे तू उलझन में
उजियारा लेकर के आई अँधेरे इस जीवन में,
बहुत ख़ुशी थी घर पे सबको, था उल्लास भरा सबके मन में
विवेक कुमार शर्मा