बिटिया चल,,,,
बिटिया मेरा बचपन है
मेरा अधूरा ख्वाब है
आँखे तेरी ख़्वाब मेरा है।
चल आगे बढ़
पा वो आसमाँ सी मंजिल
जिसे मैंने देखी थी पर पा न सकी।
अब मेरी शक्ति तेरी है
बिटिया चल आगे बढ़
तोड़ दे वर्जनायें जिनमे मुझे सदियों से जकड़े हैं।
हटा दे वो सड़ी गली परमरायें
जिनसे मेरी सांसे घुटती हैं।
बिटिया चल साँस लें खुली हवा में
अब घर में दम घुटता है।
“””लक्ष्य”””