बिटिया घर की ससुराल चली, मन में सब संशय पाल रहे।
बिटिया घर की ससुराल चली, मन में सब संशय पाल रहे।
नम नैनन में अभिलाष यहीं, नव व्यञ्जन पूरित थाल रहे।
कल की कलिका कुम्हलाय नहीं, नव पल्लव पुष्पित डाल रहे।
पितु- भ्रात सहेज दहेज रहे, हर हाल वहाँ खुशहाल रहे।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’