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3 Dec 2016 · 1 min read

बिजिनेस पॉइंट

लघुकथा
बिजिनेस पॉइंट

*अनिल शूर आज़ाद

इस प्राइवेट स्कूल में पिछले सप्ताह ही उसकी नियुक्ति हुई थी। सप्ताह भर से बेहद बेकरारी से वह ‘नियुक्ति-पत्र’ की प्रतीक्षा कर रहा था। स्कूल चाहे प्राइवेट सही, अध्यापक बनने की उसकी वर्षों की साध पूर्ण हुई थी। अपने ‘स्कूल-लाइफ के फेवरेट’ अध्यापक आदरणीय जयसिंह जी के श्रीचरणों में अपना नियुक्ति-पत्र रखकर..वह सफल होने का आशीर्वाद लेना चाहता था।
किन्तु..आज भी जब उसे नियुक्ति-पत्र नही मिला तो..विनम्रतापूर्वक उसने पूछ ही लिया “मेरा अपॉइंटमेंट-लेटर, सर..”
“कैसा अपॉइंटमेंट..मिस्टर रमेश?” सुनहरें चश्में से झांकती दो घाघ आंखों ने उसे घूरा “और..हां, अपना रेजिग्नेशन लिखकर बड़े बाबू की ‘लाल-फाइल’ में रखवाते जाना। “रेजिग्नेशन..मगर क्यू सर?” थूक सटकते हुए..भयभीत रमेश ने पूछा।
“यह बिजिनेस पॉइंट..मेरा मतलब, हमारी संस्था का नियम है..ताकि वेतन आदि को लेकर कोई टीचर लफड़ा करे तो..ऐसे रेजिग्नेशन के आधार पर उसे निकाला जा सके!” कहते हुए विद्यालय के मुख्य कर्ता-धर्ता सेठ लक्ष्मीनारायण ने अर्थपूर्ण निगाहें..युवा अध्यापक रमेश के निर्दोष चेहरे पर जमा दीं।

Language: Hindi
289 Views

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