बिजली गिराने लगी
बिजली गिराने लगी (ग़ज़ल)
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छम -छम बरसात आने लगी,
दिल में बिजली गिराने लगी।
जो गहरी नींद में सो गए,
अरमानों को जगाने लगी।
किस जग में खो गए थे सनम,
मन को यादें सताने लगी।
ऑंसू में बह गई लालसा,
तन को जड़ से हिलाने लगी।
मनसीरत ने लगया गले,
मीठी बातें बताने लगी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)