Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2024 · 1 min read

बिछोह

सूखी हुई पत्ती हूं
इस पेड़ की –
वक्त की धारा में
परिपक्वता की आड़ में –
बिछुड़ रही हूं मैं –
पर —?
धरती पर गिर कर
पैरों से रौंदे जाने पर,
मिट्टी में मिलकर
खाद बन — सदा
पेड़ को हरा – भरा देखने की
चाहत रखती हूं मैं
भले ही –
पथिक को छांव देने में ,
सागर में बूंद जितना ही,
ही रहा होगा योगदान मेरा,
मगर –
फिर भी सुकून इतना –
कि सागर की मिली पहचान मुझे
लुप्त हूं इसी के जल में
पर मिला तो इक नाम मुझे,
इसीलिए –
मांगती हूं एक ही दुआ,
इस पेड़ – सा विशाल हरा – भरा
जीवन रहे हर उस पथिक का
सुस्ताने आए जो इसकी छांव में
महके यह सदा सुंदर उपवन – सा
धूमिल न हो कभी इसकी छाया।।
—*******—

94 Views
Books from Lalni Bhardwaj
View all

You may also like these posts

3222.*पूर्णिका*
3222.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
राधा कृष्ण
राधा कृष्ण
Mandar Gangal
कौन किसके सहारे कहाँ जीता है
कौन किसके सहारे कहाँ जीता है
VINOD CHAUHAN
रामपुर में जनसंघ
रामपुर में जनसंघ
Ravi Prakash
मोहब्बत शायरी
मोहब्बत शायरी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
शोखी इश्क (ग़ज़ल)
शोखी इश्क (ग़ज़ल)
Dushyant Kumar Patel
गांधी और गोडसे में तुम लोग किसे चुनोगे?
गांधी और गोडसे में तुम लोग किसे चुनोगे?
Shekhar Chandra Mitra
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कुछ क्षणिकाएं:
कुछ क्षणिकाएं:
sushil sarna
भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम...
भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम...
शिवम "सहज"
मृत्योत्सव
मृत्योत्सव
Acharya Rama Nand Mandal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
लत मुझे भी थी सच कहने की
लत मुझे भी थी सच कहने की
सिद्धार्थ गोरखपुरी
शुभ
शुभ
*प्रणय*
"लोग"
Dr. Kishan tandon kranti
इस साल, मैंने उन लोगों और जगहों से दूर रहना सीखा, जहाँ मुझे
इस साल, मैंने उन लोगों और जगहों से दूर रहना सीखा, जहाँ मुझे
पूर्वार्थ
ये  दुनियाँ है  बाबुल का घर
ये दुनियाँ है बाबुल का घर
Sushmita Singh
जब सुनने वाला
जब सुनने वाला
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पूछन लगी कसूर
पूछन लगी कसूर
RAMESH SHARMA
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
"वक्त"के भी अजीब किस्से हैं
नेताम आर सी
प्रभु संग प्रीति
प्रभु संग प्रीति
Pratibha Pandey
- में अजनबी हु इस संसार में -
- में अजनबी हु इस संसार में -
bharat gehlot
चाहत थी कभी आसमान छूने की
चाहत थी कभी आसमान छूने की
Chitra Bisht
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
कृष्णकांत गुर्जर
वक्त
वक्त
Shyam Sundar Subramanian
*जुदाई न मिले किसी को*
*जुदाई न मिले किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हर सांस का कर्ज़ बस
हर सांस का कर्ज़ बस
Dr fauzia Naseem shad
Loading...