“ बिछुड़ने का ग़म ”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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दूर ना जाना
पास ही रहना ,
तुमसे बिछुड़ के
मर जाएंगे !
रूह भटकेगी
याद में हरदम ,
दर्द कभी नहीं
सह पाएंगे !!
तेरे प्यार का हमको
सहारा मिला है
गर्दिश में तारे
चमकने लगे !
दुख -सुख में जीने की
चाहत जागी है
खुसबू से बगिया
महकने लगे !!
आखों से तुम
ओझल न होना
हम तो तड़पते
ही रह जाएंगे !
रूह भटकेगी
याद में हरदम ,
दर्द कभी नहीं
सह पाएंगे !!
बहुत मन्नतों से
तुम मुझको मिली हो
तेरे बिन अधूरी
मेरी जिंदगी है !
तुझे सिर्फ अपने
दिल में बसाकर
रखलूँ तुझे
तुम मेरी बंदगी है !!
सह ना सकेंगे
यूँ तेरी जुदाई
जीते जी हम
रह ना पाएंगे !
रूह भटकेगी
याद में हरदम ,
दर्द कभी नहीं
सह पाएंगे !!
दूर ना जाना
पास ही रहना ,
तुमसे बिछुड़ के
मर जाएंगे !
रूह भटकेगी
याद में हरदम ,
दर्द कभी नहीं
सह पाएंगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
नाग पथ
शिव पहाड़
दुमका
झारखण्ड
भारत
06.05.2022.