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2 May 2024 · 1 min read

बिछड़कर मुझे

बिछड़कर मुझे तुम मुद्दत हुई है।
तुम्हें क्या ख़बर कैसी हालात हुई है।

मुझे शायरी की जो चाहत हुई है।
ज़माने को क्यूं इस पे हैरत हुई है।

कहां तुमको मिलने की फुर्सत हुई है।
जो यादों में अब इतनी शिद्दत हुई है ।

जो बेचैनियों में भी आराम पाया,
वो कब ख्वाबे-गफलत से राहत हुई है।

तुम्हारा ही इक नाम है मेरे दिल में,
तुम्हें याद करने की आदत हुई है।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
3 Likes · 201 Views
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