बिगड़े हालात आज है
बिगड़े हालात आज है
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बिगड़े हालात आज हैं,
खतरे में खूब ताज है।
मौसम भी तो खराब है,
नभ में उड़ते न बाज हैं।
गाना गाते वो बेसुरा,
सुर में बजते न साज हैं।
बिखरे अल्फ़ाज़ हैं सदा,
पूरा कोई न काज है।
मनसीरत है ख़फ़ा-ख़फ़ा,
अपनों पर भी न नाज है।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)