बिखर के भी निखरना है ,
बिखर के भी निखरना है ,
साहिल के उस पार उतरना है ,
मौजे डुबों भी दे तो गम नहीं ,
फ़क़त हर आलम से उभरना है l
“नीरज कुमार सोनी”
“जय श्री महाकाल” 🕉️
बिखर के भी निखरना है ,
साहिल के उस पार उतरना है ,
मौजे डुबों भी दे तो गम नहीं ,
फ़क़त हर आलम से उभरना है l
“नीरज कुमार सोनी”
“जय श्री महाकाल” 🕉️