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11 Sep 2021 · 1 min read

बिखरी हुई कुछ यादें

बिखरी हुई कुछ यादें!
सिमटने लगती है आ कर
मेरे गिरेबान पर l
मेरी रूह पर दस्तक देती हुए,
खींच लती है अतीत को
मेरे वर्तमान पर l

तब मै गुनगुनाने लगता हूँ
जिन्दगी के बीते लम्हों को l
ओर भरने लगता हूँ देर तक
भूली बिसरी यादों से आँखों को l

बिखरी हुई कुछ यादें!
सामने थर देती है कुछ वादें l
ओर मैं उन लम्हों मे,
निभा देता हूँ जैसे मेरे किये वादें l

—फौजी मुंडे सोहनलाल मुंडे ✍️

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 597 Views
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