बिखरते ख्वाब
ख़ूबसूरती ख्वाब की , अब ख़ाक हो गई
इश्क़ और फेराक़ (जुदाई ) की मुलाकात हो गई ।
बेख़ौफ़ खुले आसमान में बनाए थे घरौंदे हमने,
और देखो ना ….., बे-बक्त ये बरसात हो गई ।।
काश कर पाते हिफ़ाज़त तेरी
एक छोटी सी मज़बूरी मेरी ,सबब-ए-ख़ास हो
गयी।
तबाह कर गई ख्वाहिशें मेरी
आखिर क्यों बेवजह बरसात हो गई
:-आकिब ज़मील “कैश”