बिखरता बचपन
शादी के दस साल बीत जाने के बाद भी राहुल और नम्रता के बीच अनबन कम होने का नाम नहीं ले रही थी। दोनों में से कोई भी किसी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं था, उम्र के अंतराल ने वैचारिक मतभेद बढ़ा दिए थे किसी भी बात पर एकराय नहीं हो पाती थी, उनके दोनों अबोध बच्चों पर पापा-मम्मी के कटुतापूर्ण रिश्तों का गहरा प्रभाव पढ़ रहा था। शाम को जैसे ही टीवी पर फ़िल्म आने का समय हुआ छोटी बच्ची प्रियांशी ने नीचे के कमरे में आवाज लगा दी “पापा आ जाओ, फ़िल्म चालू हो गई है!” अमन और प्रियांशी रविवार के दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे सुबह से ही दोनों बच्चों के चेहरे खिले हुए थे क्योंकि पापा की छुट्टी जो थी दोनों बच्चे माँ के साथ ही सोते थे ।किंतु राहुल के साथ बिताए मस्ती के पल उनको खूब लुभाते थे राहुल ने कंप्यूटर पर नजरें गढ़ाए हुए कहा-“बेटा तुम लोग देख लो, मुझे आफिस का काम करना है।” बच्चे फिर से उदास हो गए और अपनी माँ की गोद मे लेटे-लेटे सो गए।