बिकाऊ मिडीया
“सुबह-सुबह वो अखबार के पन्ने
कुछ नये समाचार ले आते है
खाली पडे इस मन मे फिर से
वो ढेर सारी बाते भर जाते है,
कहीं आतंक के मुद्दे है दिखते
तो कहीं गंदी राजनीति है मिलती
कुछ लोग समर्थन करते है इसका
तो कुछ विरोध मे खडे दिखते है,
वो राजनीति चमकाने के खातिर
कुछ देश विरोधी बाते है करते
देश के टुकडे करने के सपने मे
वे राष्ट्रवाद का यहा दंभ है भरते,
लगाके कुछ देशविरोधी नारे वो
कुछ छुद्र जनो का मसीहा हो जाता है
सरहद पे खडा वह नौजवान फिर
देश के बदलते हाल पे रो देता है ,
चाय कि चुस्कियो संग अखबार
कुडेदानो मे पडा मिल जाता है
सुबह जगा वो देशभक्ति का जज्बा
चंद पलो मे धूल मे मिल जाता है,
किन खबरो पे विश्वास करे हम
और किनका हम उपहास करे
कौन झुठा है,या कौन है सच्चा
फिर कैसे हम इसका आभास करे”