बिंदी🔴
बिंदी
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छोटी,बड़ी,
हर अकृति में सजी हुई हैं
माथे की शोभा हैं
इसकी सुंदर पहचान🔴
कभी दुर्गा,कभी काली
🩸*कभी भक्ति, कभी शक्ति*
किसी का नूर ,किसी का कोहिनूर
🩸*किसी की रानी,किसी की दासी!!*
किसी का सहारा, किसी की प्रेमिका
🩸*कही करें बलिदान, कही करें आत्मसम्मान*
एक छोटी सी बिंदी की है इतनी बड़ी पहचान!!
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रचनाकार – 😇 डॉ० वैशाली अँकुर वर्मा✍🏻