Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2020 · 1 min read

बाज़ीगर

मौत से खेलते बाज़ीगरो को आपने देखा होगा।
कभी सर्कस में ,कभी सड़क पर मजमा लगाते, कभी मौत के कुएँ में मोटरसाइकिल चलाते देखा होगा।
ये वो जाँबाज़ है जो रोज़ मौत से खेलते हैं।
हर दिन मौत से खेल कर कर उसे दग़ा देते हैं ।
पेट की खातिर ज़िंदगी दांव पर लगा देते हैं।
नहीं है उन्हें मौत का उतना खौफ ।
जितना है उन्हें अपना और अपने बच्चों के भूखे पेट मरने का खौफ।
उन्हे मंज़ूर है दो पल हंसती खेलती ज़िंदगी के।
ब़निस्ब़त हज़ार पल सिस़कती भूख़ से तड़पती ज़िंदगी के।

Language: Hindi
8 Likes · 2 Comments · 273 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
प्रदूषण रुपी खर-दूषण
प्रदूषण रुपी खर-दूषण
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
दुनिया के डर से
दुनिया के डर से
Surinder blackpen
संसार
संसार
Dr. Shakreen Sageer
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
दर्द -ऐ सर हुआ सब कुछ भुलाकर आये है ।
दर्द -ऐ सर हुआ सब कुछ भुलाकर आये है ।
Phool gufran
" परवाह "
Dr. Kishan tandon kranti
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
श्री गणेशा
श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
आहत हो कर बापू बोले
आहत हो कर बापू बोले
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बस इतना सा दे अलहदाई का नज़राना,
बस इतना सा दे अलहदाई का नज़राना,
ओसमणी साहू 'ओश'
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
Ranjeet kumar patre
आप अपनी नज़र फेर ले ,मुझे गम नहीं ना मलाल है !
आप अपनी नज़र फेर ले ,मुझे गम नहीं ना मलाल है !
DrLakshman Jha Parimal
दिल पहले शीशा था,अब पत्थर बना लिया।
दिल पहले शीशा था,अब पत्थर बना लिया।
Priya princess panwar
कू कू करती कोयल
कू कू करती कोयल
Mohan Pandey
परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ओ त्याग मुर्ति माँ होती है
ओ त्याग मुर्ति माँ होती है
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
समसामायिक दोहे
समसामायिक दोहे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
महाकाल
महाकाल
Dr.Pratibha Prakash
मैं जानता हूं नफरतों का आलम क्या होगा
मैं जानता हूं नफरतों का आलम क्या होगा
VINOD CHAUHAN
पढो वरना अनपढ कहलाओगे
पढो वरना अनपढ कहलाओगे
Vindhya Prakash Mishra
योग
योग
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
کوئی تنقید کر نہیں پاتے ۔
کوئی تنقید کر نہیں پاتے ۔
Dr fauzia Naseem shad
चिरैया पूछेंगी एक दिन
चिरैया पूछेंगी एक दिन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।
अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।
लक्ष्मी सिंह
खिल गई  जैसे कली हो प्यार की
खिल गई जैसे कली हो प्यार की
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
14) “जीवन में योग”
14) “जीवन में योग”
Sapna Arora
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
डॉक्टर रागिनी
हर किसी के पास एक जैसी ज़िंदगी की घड़ी है, फिर एक तो आराम से
हर किसी के पास एक जैसी ज़िंदगी की घड़ी है, फिर एक तो आराम से
पूर्वार्थ
Loading...