Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2023 · 1 min read

जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।

गज़ल

212/212/212/212
जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
भावनाओं का मुझको सहारा मिले।1

तन से धन से किसी के लिए तुम रहो,
मेरे दिल को तो इक साथ प्यारा मिले।2

प्यार औ’र दोस्ती की जो दौलत मिली,
अब नहीं गम कोई भी ख़सारा मिले।3

जो भी किस्मत में होगा मिलेगा वहीं,
चांद मिलता है या, टूटा तारा मिले।4

आपके आने से ही मिलेगी खुशी,
आंखों को खूबसूरत नज़ारा मिले।5

मुझको काशी मिले या कि मथुरा मिले,
गर जनम फिर मिले हिंद प्यारा मिले।6

एक प्रेमी हूं मैं चाहिए और क्या,
उसको गर दर्द हो मुझको सारा मिले।

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सत्य कुमार प्रेमी
View all
You may also like:
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
शेखर सिंह
"डोली बेटी की"
Ekta chitrangini
"अवशेष"
Dr. Kishan tandon kranti
उससे मिलने को कहा देकर के वास्ता
उससे मिलने को कहा देकर के वास्ता
कवि दीपक बवेजा
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हजार वेळां हारणौ पड़ै है
हजार वेळां हारणौ पड़ै है
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
बेज़ार सफर (कविता)
बेज़ार सफर (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
अन्तर्राष्टीय मज़दूर दिवस
अन्तर्राष्टीय मज़दूर दिवस
सत्य कुमार प्रेमी
ऐसे थे पापा मेरे ।
ऐसे थे पापा मेरे ।
Kuldeep mishra (KD)
हाईकु
हाईकु
Neelam Sharma
* भावना स्नेह की *
* भावना स्नेह की *
surenderpal vaidya
ग़ज़ल _ दर्द भूल कर अपने, आप मुस्कुरा देना !
ग़ज़ल _ दर्द भूल कर अपने, आप मुस्कुरा देना !
Neelofar Khan
कणों से बना हुआ समस्त ब्रह्मांड
कणों से बना हुआ समस्त ब्रह्मांड
ruby kumari
सच्चे देशभक्त ‘ लाला लाजपत राय ’
सच्चे देशभक्त ‘ लाला लाजपत राय ’
कवि रमेशराज
बहुत पढ़ी थी जिंदगी में
बहुत पढ़ी थी जिंदगी में
VINOD CHAUHAN
विश्रान्ति.
विश्रान्ति.
Heera S
Dr अरुण कुमार शास्त्री
Dr अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ये कैसे रिश्ते है
ये कैसे रिश्ते है
shabina. Naaz
!! मेरी विवशता !!
!! मेरी विवशता !!
Akash Yadav
मेरे जीवन में सबसे
मेरे जीवन में सबसे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
तेरी मुश्किल ना बढ़ूंगा,
तेरी मुश्किल ना बढ़ूंगा,
पूर्वार्थ
मतलब का सब नेह है
मतलब का सब नेह है
विनोद सिल्ला
*मौत मिलने को पड़ी है*
*मौत मिलने को पड़ी है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पागल हो जनता चली,
पागल हो जनता चली,
sushil sarna
पेड़ और चिरैया
पेड़ और चिरैया
Saraswati Bajpai
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
Manoj Mahato
कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
Sonam Puneet Dubey
4915.*पूर्णिका*
4915.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...