बाहों के घेरे
मेरे कहे बिन भी तुम
समझ क्यों नहीं जाते
दूर से ही मुस्कुराते हो
मेरे पास क्यों नहीं आते।।
मैं मुंह से कुछ कह नहीं पाता
तू मेरी आंखों को पढ़ नहीं पाता
अजीब सी कश्मकश है ये कैसी
दो सीढ़ियां भी चढ़ नहीं पाता।।
अब तुझे ही कुछ करना होगा
इस दीवाने को संभालना होगा
अब मेरी खातिर तुमको प्रिये
इस शर्मो हया को छोड़ना होगा।।
प्यार मेरा है सच्चा यार
अब इसको समझो तुम
और अपने प्यार में तुम
अब कर दो मुझको गुम।।
चाहता हूं मैं तेरी बाहों के
घेरे में कैद होकर रहना अब
चैन मिलेगा मुझको तभी
होगी तू मेरी बाहों में जब।।
रोक लूंगा हवाओं को भी
होगी जिसमें खुशबू तेरी
चुराकर अपनी सांसों से
खुद में छुपा लूंगा खुशबू तेरी।।
जो कह दो एक बार तुम, लगेगा
जान देने में, एक पल भी नहीं
लेकिन अब न मैं रह पाऊंगा
तुम्हारे बिन एक पल भी नहीं।।