बाहुबली नेता( हाकलि/ मानव छंद )
बाहुबली नेता
हाकलि /मानव 14
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हाकलि
14 मात्राएँ
3 चौकल अनिवार्य
अंत में गुरू
ऊँचे पद पर बैठे हैं।
तब तो इतने ऐंठे हैं ।
कानून नियम सब इनके।
हम लगते इनको तिनके ।
जो बोलें ठीक वही है।
जो कर दें काम सही है।
काला सफेद कर डालें।
पच जाय भले कुछ खालें।
सूरज को कैद किये हैं
सत्ता के जाम पिये हैं ।
वे धर्म बनायें धंधा।
देखे समझे हर अंधा।।
फैलीं विदेश तक कड़ियाँ।
भय से रुक जातीं घड़ियाँ ।
रिश्ता ना कोई डर से।
बस मानें बुलडोजर से ।
मानव 14
जहाँ 3 चौकल न हों
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अपनी आँखों के आँसू ,
वे देख मजाक बनायें।
हर तरह योजनाओं के,
पग पग पर जाल बिछायें।
है कठिन जिंदगी जीना,
पीना हर रोज़ गरल है ।
श्रम करें कमीशन देकर,
इसका न कहीं पर हल है
रँगदारी टैक्स वसूली,
वे करते हैं मनमानी।
बँध गया इलाका पूरा।
रोके है किसमें पानी।
वोटों का ठेका लेते,
चंदा भी तरह तरह का ।
वे करें कार्यक्रम कोई,
होता ना खर्च गिरह का ।
सट्टा दारू फड़बाजी,
पग पग पर धंधे काले।
हैं दोस्त बंधु जैसे ही ,
सब खाकी वर्दी वाले।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
19/5/23