बाहिर से
लफ्ज से मोती टपके मुसलसल उसके,
कमा के आया था शख्स कोई बाहिर से
कायदे सफऱ के जरा अजीब से थे
रस्ता मिलता कहाँ मुसाफिर से
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
लफ्ज से मोती टपके मुसलसल उसके,
कमा के आया था शख्स कोई बाहिर से
कायदे सफऱ के जरा अजीब से थे
रस्ता मिलता कहाँ मुसाफिर से
-सिद्धार्थ गोरखपुरी