Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2017 · 1 min read

बाहर क्यू न आते हो

मै बिखरा हूँ याद में तेरी क्यू इतना तड़पाते हो
एकबार मुझे देखने खातिर बाहर क्यू न आते हो

पल पल याद में जीता हु पल पल आहें भरता हूँ
कभी दिलों से कभी जुवां से तेरी बाते करता हूँ
हम तो तुमपर मरते है हम अपना तुम्हे मानते है
मुझको अपना कहने में क्यू तुम इतना शर्माते हो

मुझे पता है कि तुम भी प्यार मुझी से करते हो
एकबार फिर जुवां से कहने में क्यू आखिर डरते हो
मुझे पता है की ये जमाना तुमपर आँखें रखता है
सच्चे प्यार के होते हुए तुम क्यू इनसे दर जाते हो

तुम आजाओ जो बगिया में गुल सारे खिल जायेंगे
बरसों से जो तड़प रहे है वो साथी मिल जायेंगे
”कृष्णा”कवि है हर मंचो से नाम तेरा ही गायेगा
नाम कभी न लेगा तेरा क्यूँ इतना घबराते हो

323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
महालय।
महालय।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
ललकार भारद्वाज
ज़ख़्म-ए-दिल आज मुस्कुरा देंगे
ज़ख़्म-ए-दिल आज मुस्कुरा देंगे
Monika Arora
😊अनुभूति😊
😊अनुभूति😊
*प्रणय*
मेरी एक बार साहेब को मौत के कुएं में मोटरसाइकिल
मेरी एक बार साहेब को मौत के कुएं में मोटरसाइकिल
शेखर सिंह
जरुरी नहीं कि
जरुरी नहीं कि
Sangeeta Beniwal
*मर्यादा*
*मर्यादा*
Harminder Kaur
मरना क्यों?
मरना क्यों?
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
लोगो को जिंदा रहने के लिए हर पल सोचना पड़ता है जिस दिन सोचने
लोगो को जिंदा रहने के लिए हर पल सोचना पड़ता है जिस दिन सोचने
Rj Anand Prajapati
"Know Your Worth"
पूर्वार्थ
दहेज की जरूरत नहीं
दहेज की जरूरत नहीं
भरत कुमार सोलंकी
"उदास सांझ"
Dr. Kishan tandon kranti
बर्फ
बर्फ
Santosh kumar Miri
कहां से कहां आ गए हम....
कहां से कहां आ गए हम....
Srishty Bansal
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
Rituraj shivem verma
अपनी कमजोरियों में ही उलझे रहे
अपनी कमजोरियों में ही उलझे रहे
Sonam Puneet Dubey
3226.*पूर्णिका*
3226.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
श्री राम भजन
श्री राम भजन
Khaimsingh Saini
मेरी आंखों के काजल को तुमसे ये शिकायत रहती है,
मेरी आंखों के काजल को तुमसे ये शिकायत रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
Neeraj Agarwal
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
पंकज परिंदा
*आवारा कुत्ते हुए, लोभी नमकहराम (कुंडलिया)*
*आवारा कुत्ते हुए, लोभी नमकहराम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
महाकवि विद्यापति आ महारानी लखिमा देवी: प्रेम प्रसंग!
महाकवि विद्यापति आ महारानी लखिमा देवी: प्रेम प्रसंग!
Acharya Rama Nand Mandal
मां से ही तो सीखा है।
मां से ही तो सीखा है।
SATPAL CHAUHAN
मुझमें मुझसा
मुझमें मुझसा
Dr fauzia Naseem shad
मर्म का दर्द, छिपाना पड़ता है,
मर्म का दर्द, छिपाना पड़ता है,
Meera Thakur
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
Ranjeet kumar patre
रिश्तो का संसार बसाना मुश्किल है।
रिश्तो का संसार बसाना मुश्किल है।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...