” बावरा मन “
” बावरा मन ”
लघु क्यारी देख कर हर्षित होता
मचलता है रह कर बावरा मन
हरियाली प्रकृति की सतरंगी छटा
यही है संसार का सबसे बड़ा धन,
बगिया में लगे फल और रंगीन पौधे
हवा की सनसनाहट में सुने छन छन
कल्पित स्वर्ग ज्यों अहसास फिर होता
लहरों पर गोते खाए योग मुद्रित मन,
हल्की बारिश की मंद मंद फुहार
बूंद से भीगकर बतख का बदले रंग
मद में बहकर मयूर कर रहा नृत्य
कोयल संगीत सुनाए पपीहा संग,
प्राकृतिक सौन्दर्य की यह अनुभूति
कृपा मत करना इसे कोई भी भंग
रस भरे वातावरण को निहार कर
मीनू पूनिया सहसा ही रह जाती दंग।
डॉ मीनू पूनिया
जयपुर, राजस्थान
Dr.Meenu Poonia