बावन यही हैं वर्ण हमारे
अ से चलकर औ तक जाओ,
इनको ही तुम स्वर बताओ।
इनके बाद जो दो हैं आते,
अनुस्वार, विसर्ग कहाते।
क वर्ग है कण्ठ से आता,
च वर्ग को तालू भाता।
ट वर्ग को मुर्ध्दा भाये,
त वर्ग दाँतों से आये।
प वर्ग को ओठ हैं प्यारे
व्यंजन ये स्पर्श हमारे।।
इनके बाद जो चार हैं आते
अन्तःस्थ व्यंजन कहलाते।
य,र,ल,व इन्हें पुकारे,
अर्ध्दस्वर कहलाते प्यारे।
अगले चार बड़े हैं भारी,
श, ष, स, ह की बारी।
ये ऊष्म हैं व्यंजन चारों,
रगड़ रगड़ कर इनको मारो।
क्ष, त्र को भूल न जाना,
ज्ञ,श्र से हाथ मिलाना।
अंत समय ये चारों आते,
व्यंजन ये संयुक्त कहाते।
द्विगुण व्यंजन दो ही होते,
इनको पढ़कर बच्चे रोते।
इनके नीचे बिन्दु आये,
ड, ढ को बस ये भाये।
बावन यही हैं वर्ण हमारे,
हिन्दी भाषा के जो तारे।
देवनागरी लिपि यही है,
जटा सर ने यही कही है।
✍️जटाशंकर”जटा”