Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2024 · 1 min read

बावन यही हैं वर्ण हमारे

अ से चलकर औ तक जाओ,
इनको ही तुम स्वर बताओ।
इनके बाद जो दो हैं आते,
अनुस्वार, विसर्ग कहाते।

क वर्ग है कण्ठ से आता,
च वर्ग को तालू भाता।
ट वर्ग को मुर्ध्दा भाये,
त वर्ग दाँतों से आये।
प वर्ग को ओठ हैं प्यारे
व्यंजन ये स्पर्श हमारे।।

इनके बाद जो चार हैं आते
अन्तःस्थ व्यंजन कहलाते।
य,र,ल,व इन्हें पुकारे,
अर्ध्दस्वर कहलाते प्यारे।

अगले चार बड़े हैं भारी,
श, ष, स, ह की बारी।
ये ऊष्म हैं व्यंजन चारों,
रगड़ रगड़ कर इनको मारो।

क्ष, त्र को भूल न जाना,
ज्ञ,श्र से हाथ मिलाना।
अंत समय ये चारों आते,
व्यंजन ये संयुक्त कहाते।

द्विगुण व्यंजन दो ही होते,
इनको पढ़कर बच्चे रोते।
इनके नीचे बिन्दु आये,
ड, ढ को बस ये भाये।

बावन यही हैं वर्ण हमारे,
हिन्दी भाषा के जो तारे।
देवनागरी लिपि यही है,
जटा सर ने यही कही है।

✍️जटाशंकर”जटा”

Language: Hindi
145 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपने दिमाग से वह सब कुछ मिटा
अपने दिमाग से वह सब कुछ मिटा
Ranjeet kumar patre
माँ सच्ची संवेदना...
माँ सच्ची संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
World Book Day
World Book Day
Tushar Jagawat
दुर्योधन मतवाला
दुर्योधन मतवाला
AJAY AMITABH SUMAN
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
भोर समय में
भोर समय में
surenderpal vaidya
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
Ashwini sharma
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
.
.
Amulyaa Ratan
वो नींदों में आकर मेरे ख्वाब सजाते क्यों हैं।
वो नींदों में आकर मेरे ख्वाब सजाते क्यों हैं।
Phool gufran
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
Bidyadhar Mantry
"चाँद चलता रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
किवाङ की ओट से
किवाङ की ओट से
Chitra Bisht
मुहब्बत में शायरी का होना तो लाज़मी है जनाब,
मुहब्बत में शायरी का होना तो लाज़मी है जनाब,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रीत प्रेम की
प्रीत प्रेम की
Monika Yadav (Rachina)
4210💐 *पूर्णिका* 💐
4210💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हमारी जुदाई मानो
हमारी जुदाई मानो
हिमांशु Kulshrestha
..
..
*प्रणय*
शिकवा ,गिला
शिकवा ,गिला
Dr fauzia Naseem shad
मेरे हौसलों को देखेंगे तो गैरत ही करेंगे लोग
मेरे हौसलों को देखेंगे तो गैरत ही करेंगे लोग
कवि दीपक बवेजा
किसी भी बात पर अब वो गिला करने नहीं आती
किसी भी बात पर अब वो गिला करने नहीं आती
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कवित्व प्रतिभा के आप क्यों ना धनी हों ,पर आप में यदि व्यावहा
कवित्व प्रतिभा के आप क्यों ना धनी हों ,पर आप में यदि व्यावहा
DrLakshman Jha Parimal
जिन्दगी
जिन्दगी
लक्ष्मी सिंह
वह है बहन।
वह है बहन।
Satish Srijan
हिन्दी भारत का उजियारा है
हिन्दी भारत का उजियारा है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
sushil sarna
मजहब का नही पता, सनातन का पता बन जायेगा,
मजहब का नही पता, सनातन का पता बन जायेगा,
P S Dhami
सब लोगो के लिए दिन में 24 घण्टे ही होते है
सब लोगो के लिए दिन में 24 घण्टे ही होते है
पूर्वार्थ
इक क़तरा की आस है
इक क़तरा की आस है
kumar Deepak "Mani"
"इफ़्तिताह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...