बाल-सखी।
कुदरत का दिया उपहार तुम्हें,
मधुर स्वभाव मीठी भाषा है,
हर खुशी हो जीवन मे तुम्हारे,
ऐसी मेरी आशा है,
मेरे शब्दों में कोई दिखावा नहीं,
न इनमें कोई झूठा दिलासा है,
चंद शब्दों में तुम्हारे प्रति मैंने,
अपने स्नेह-सम्मान को तराशा है,
निश्छल-निर्मल-निस्वार्थ यही,
बाल-सखी तुम्हारी परिभाषा है।
कवि-अम्बर श्रीवास्तव।