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9 Jun 2021 · 1 min read

बाल श्रम

हे मेरे समाज !
मुझे खेलने दो ।
पेंसिल और स्लेट दो
मुझे पढ़ने दो ।

अभी प्रारंभ है मेरे जीवन की
इसे संवरने दो !
इन नन्हें हाथों को काम नहीं
अभी तो खिलौने दो ।

जीवन में संघर्ष बहुत है
अभी तैयार होने दो
लड़ूंगा मैं भी मुश्किलों से
अभी शिक्षा का हथियार तो लेने दो ।

अभी तो नन्हा बालक हूं ,
मुझे काम नहीं
बस थोड़ी सी प्यार दे दो ।
शायद अब्दूल कलाम बन जाऊं कभी
अभी तो स्कूल जाने दो

✍️ समीर कुमार “कन्हैया”

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 337 Views

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