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14 May 2023 · 1 min read

बाल विवाह

बचपन मे दिन बीते खेल- कूद करते हुए,
बारिश में भींग जाते उछल कूद करते हुए।
खेल हमारे अलग – अलग से हुआ करते थे,
काम से होते ही फुरसत हम खेला करते थे।

लड़के-लड़कियों का खेल अलग अलग बंटे थे,
लड़कियों के साथ गुड्डा-गुड्डी,खो-खो खेलते थे।
लड़को के साथ छुपन – छुपाई ,गेंद – गिप्पा थे,
छेड़कानी होती थोड़ा हम ना समझ डिब्बा थे।

थोड़ी बड़ी होकर जब पहुँची उच्च पाठशाला,
ऐसा कुछ घटित हुआ मेरा मन हुआ काला।
पहली बार हुआ शरीर जब खून से लथपथ,
सहेली ने दूर किया मेरे मन का भी खटपट।

उच्च पाठशाला पास करते मेरी हो गयी शादी,
पति न अच्छा मिल पाया कैसी किस्मत ला दी।
खेल – खेल की उम्र में मैँ भी बन गयी थी माँ,
खेल – खेल में ज़िन्दगी की निकल रही है जाँ।

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