बाल दिवस विशेष- बाल कविता – डी के निवातिया
बाल दिवस विशेष- बाल कविता
सबसे न्यारे, सबसे सच्चे,
कितने प्यारे, होते बच्चे !
फूलों सी इनकी मुस्कान,
इनके मन बसते भगवान !
कोमल होती इनकी वाणी,
बातों के ये होते ज्ञानी !
दादा-दादी, नाना-नानी,
सबसे सुनते खूब कहानी !
करे शरारत ये मनमानी,
मस्ती, कुश्ती औ शैतानी !
पतले, मोटे, गोलू मोलू,
तेज तर्रार ये लगते भोलू !
मम्मी पापा को ये सताते,
थोड़ा डाँटो रूठ ये जाते !
भाई बहन बनाकर जोड़ी,
रोज करे ये नयी ठिठोली !
चन्दा को कहते है मामा,
सूरज इनके लगते चाचा !
लड्डू पेड़े, चाट पकोड़े
चाव से खाते बन चटोरे !
इनके रहते है घर की शान,
कल के भारत की ये पहचान !!
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डी के निवातिया