Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2022 · 1 min read

बाल दिवस पर विशेष

बचपन के दिन की यादें
प्यारी सी तोतली बातें
नही चाह थी न परवाह
खुशी भरी थी दिन व रातें।
आगे की परवाह न थी
न पछतातें बीती बातें
मस्त मगन थे खुशी हरतरफ
मजबूत थे रिश्ते नाते
लोभ द्वेष का पता न था
टूटे कंचे पर इतराते
प्रश्न बहुत थे बडी शरारत।
मात पिता को बहुत शताते ।
याद आ रहे बाल दिवस पर
ये प्यारी बचपन की बाते ।
बाल दिवस की शुभकामनाए
विन्ध्यप्रकाश मिश्र

3 Likes · 835 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सरताज"
Dr. Kishan tandon kranti
*मृत्युलोक में देह काल ने, कुतर-कुतर कर खाई (गीत)*
*मृत्युलोक में देह काल ने, कुतर-कुतर कर खाई (गीत)*
Ravi Prakash
उजले दिन के बाद काली रात आती है
उजले दिन के बाद काली रात आती है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
विश्व भर में अम्बेडकर जयंती मनाई गयी।
विश्व भर में अम्बेडकर जयंती मनाई गयी।
शेखर सिंह
" रागी "जी
राधेश्याम "रागी"
बस्ते...!
बस्ते...!
Neelam Sharma
कमियाँ तो मुझमें बहुत है,
कमियाँ तो मुझमें बहुत है,
पूर्वार्थ
हम अभी ज़िंदगी को
हम अभी ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
हाथ पर हाथ धरे कुछ नही होता आशीर्वाद तो तब लगता है किसी का ज
हाथ पर हाथ धरे कुछ नही होता आशीर्वाद तो तब लगता है किसी का ज
Rj Anand Prajapati
*शूल  फ़ूलों  बिना बिखर जाएँगे*
*शूल फ़ूलों बिना बिखर जाएँगे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जो हैं आज अपनें..
जो हैं आज अपनें..
Srishty Bansal
“Don't give up because of one bad chapter in your life.
“Don't give up because of one bad chapter in your life.
Neeraj kumar Soni
इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सोना और चांदी हैं, कलंदर,तेरी आंखें। मशरूब की मस्ती हैं,समंदर तेरी आंखें।
सोना और चांदी हैं, कलंदर,तेरी आंखें। मशरूब की मस्ती हैं,समंदर तेरी आंखें।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
यादों की तुरपाई कर दें
यादों की तुरपाई कर दें
Shweta Soni
आगे हमेशा बढ़ें हम
आगे हमेशा बढ़ें हम
surenderpal vaidya
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
Buddha Prakash
भजभजन- माता के जयकारे -रचनाकार- अरविंद भारद्वाज माता के जयकारे रचनाकार अरविंद
भजभजन- माता के जयकारे -रचनाकार- अरविंद भारद्वाज माता के जयकारे रचनाकार अरविंद
अरविंद भारद्वाज
मसान.....
मसान.....
Manisha Manjari
सूरज नहीं थकता है
सूरज नहीं थकता है
Ghanshyam Poddar
प्यार की लौ
प्यार की लौ
Surinder blackpen
डर - कहानी
डर - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मेरी कलम आग उगलेगी...
मेरी कलम आग उगलेगी...
Ajit Kumar "Karn"
प्रेम हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
प्रेम हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
Ravikesh Jha
एक सच और सोच
एक सच और सोच
Neeraj Agarwal
गजब हुआ जो बाम पर,
गजब हुआ जो बाम पर,
sushil sarna
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
3435⚘ *पूर्णिका* ⚘
3435⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
You never come
You never come
VINOD CHAUHAN
Loading...